दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, February 23, 2010

निज़ामी हंडी

पालक मुझे खासी पसंद है और पालक पनीर के तो कहने ही क्या। लेकिन पालक पनीर से बेहतर मुझे निज़ामी हंडी लगती है। इस व्यंजन को मैंने यहाँ हैदराबाद में ही खाया है इसलिए शायद ये हैदराबाद की ही पैदाइश है, वैसे हो सकता है उत्तर भारत में इसे किसी और नाम से जानते होंगे।

निज़ामी हंडी बनाना बहुत आसान है। (अपने जैसे नौसिखियों के लिए थोड़े विस्तार में बता रहा हूँ, बाकी आप लोग इम्प्रूवमेंट कर दीजियेगा!)

पालक को उबाल कर मिक्सी में पीस लीजिये।
पनीर को १ सेंटी मीटर के क्यूब्स में काट लीजिये।
सेम या फ्रेंच बीन्स, फूल गोभी और गाजर के भी छोटे छोटे टुकड़े कर लीजिये।

प्याज फ्राई कीजिये और मसाला भूनने के बाद ये सब उसमे डाल कर अच्छी तरह चला दीजिये। ऊपर से पीसी हुई पालक डाल दीजिये, नमक मिर्च अपने स्वाद अनुसार डाल कर २ सीटी आने तक कुकर में पका लीजिये!

बस बन गयी निज़ामी हंडी। (अब मेरी विधियाँ तो इतनी सिंपल ही हो सकती हैं, आप लोग इसको और स्वादिष्ट बनाने के तरीके बताइयेगा)

7 comments:

Anonymous said...

simple dishes kaa pana swaad haen aur maene yae naaam hi pehli baar sunaa haen

Mithilesh dubey said...

ईधर भी भिजवाईये ।

पारुल "पुखराज" said...

aabhaar.. पढ़ने में आसान और बढ़िया लग रही है.. लेकिन भाई मसाले पड़ेंगे क्या ? कुछ एक के नाम तो लिखिए...

अजित वडनेरकर said...

बढ़िया है। कल ही बना कर देखी जाएगी।

Sanjay Karere said...

यह तो काफी मजेदार है।
होली पर आपको अनेक शुभकामनाएं
उदकक्ष्‍वेड़ि‍का …यानी बुंदेलखंड में होली

देवेन्द्र पाण्डेय said...

नाम हंडी है तो कूकर में क्यों हंडी में ही पके तो शायद और भी स्वादिस्ट हो ..पकाकर देखना पड़ेगा..!

Unknown said...

nijami handi ko rajasthan i naam dena hoga .....tareeka kafi aasan hai patni ke aaj daftar se loutne ke pahile try kerte hai acha ban gaya to use bhi khiolayenge nahi to khud khaker kisi lafde se bach jayenge