दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Sunday, July 6, 2008

दाल मक्खनी

दाल मक्खनी , नाम के अनुसार ही ये दाल मक्खन की तरह साफ्ट और स्वादिष्ट होती है।पंजाबियों में किसी को खाने पर बुलाया जाए और दाल मखनी ना परोसी जाए तोभोजन अधूरा है। नान या तंदूरी रोटी के साथ तो इसका स्वाद गजब ही है।
सामग्री
साबुत उड़द की दाल-250 ग्राम
राजमा- 100 ग्राम देसी घी-एक बड़ी कड़छी
मक्खन-एक बड़ी कड़छी
लहसुन-अदरक-2-2 चम्मच बारीक कटा हुआ
प्याज- 3 बारीक कटे हुए
टमाटर- 2 बारीक कटा हुआ
हरी मिर्च- 1 बारीक कटी हुई

राजमां और दाल को धोकर रात भर या 6 घंटे भिगो दें। (राजमां नहीं भी हो तोचलेगा) अब इसे प्रेशर कुकर में लगभग छह गुना पानी के साथ डाले दें। कुकरमें एक चम्मच नमक, चौथाई चम्मच हल्दी, अदरक, मिर्च, लहसुन आधा डालदें(आधा तड़के के लिए रख लें) थोड़ा सा घी भी डाल दें।प्रेशर कुकर में एक व्हीसल आने के बाद इसे सिम पर एक घंटे तक पकने दें।( यदि दाल भिगोने का वक्त ना मिला हो तो बिना राजमां के केवल बिना भीगीदाल डायरेक्ट कुकर में उबाल सकते हैं, थोड़ा ज्यादा वक्त पकाना पड़ेगा)फ्राई यानी पंजाबी तड़के की तैयारीपैन में देसी घी लीजिए, गर्म होने पर इसमें लहसुन और अदरक डालकर सुनहरेहोने दीजिए, अब इसमें प्याज डालकर गोल्डन होने तक चलाएं। अब बारी हैइंतजार कर रही हरी मिर्च और लाल टमाटरों की। जब टमाटर गल जाएं तो इसमेंआधा चम्मच लाल मिर्च, एक चम्च पिसा धनिया, एक चुटकी गर्म मसाला डालदीजिए। आधा मक्खन अब इसे तड़के में डालिए और पिघलने दीजिए।( वैसे मेरा एक सीक्रटे है, बताऊं मैं तड़के में मक्खन की जगह मलाई डालतीहूं इससे कलर और स्मूदनेस दोनों ही बहुत अच्छी आती है। लेकिन मलाई कोथोड़ा ठीक से पकाना पड़ता है) अब इस गर्मागर्म तड़के को आंच से उतारकर दाल में डाल दीजिए। अच्छी तरहमिलाकर डोंगे में डालिए और गर्मागर्म सर्व करने से पहले बाकी का मक्खनभी ऊपर सजावट के तौर पर डाल दीजिए।


निलीमा सुखिजा

6 comments:

Anita kumar said...

निलीमा जी मजा आ गया बहुत जायेकादार लग रही है कल ही ट्राई करती हूँ

शायदा said...

पंजाब में इसके अलावा दूसरी दाल खानी हो तो कहना पड़ता है पीली दाल, यानी ये दाल यहां इतनी पॉपुलर है। बड़े हो
टलों से लेकर ढाबों तक हर मेन्‍यू में इसका होना ज़रूरी है। खै़र...यहां दाल मखनी देखकर याद आया कि अगर पकाते वक्‍़त इसमें चार चम्‍मच दूध डाल दिया जाए तो इसका स्‍वाद और बेहतर हो जाता है। हां मक्‍खन तो तब भी डालना ही होगा। बढि़या लगा इस दाल को यहां याद करना।

Anonymous said...

निलीमा
आप इस ब्लॉग की सदस्य नहीं बनी हैं इस का अफ़सोस है . आप को कई बार निमन्त्रण भी भेजा . खाना घर के सदस्य मिल कर बनाये तो स्वाद बहुत होता हैं . ब्लॉग मेम्बर बन कर जल्दी ही अगली रेसिपी प्रषित करेगी क्या ??!!

रंजू भाटिया said...

सही कहा इसको पंजाबी दाल कहे तो ग़लत नही होगा .

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

धन्यवाद अनीताजी,रंजूजी, शायदा जी आपकी बात बिलकुल सही है इसमें थोड़ा दूध डाला जाए तो इसका स्वाद और भी अच्छा हो जाता है। दाल मक्खनी की रेसिपी तो शायद पंजाब के हर घर में बदल जाती है, रचना जी एक बार मुझे फिर से निमंत्रण भेज दीजिए।

मीनाक्षी said...

यह काली दाल नान और तन्दूरी रोटी के साथ लजवाब लगती है... अभी कल ही बनाई है...यहाँ मलाई तो होती नही... क्रीम से ही काम चलाते हैं...