दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Saturday, August 23, 2008

जन्माष्टमी का प्रसाद

सामग्री
1-छोटी इलायची -एक छोटा चम्मच
2-सोंठ - एक छोटा चम्मच
3-शुद्ध देशी घी - एक बड़ा चम्मच
4-कुट्टू का आटा - 250 ग्राम
5-धनियाँ (पिसी हुयी) - 150 ग्राम
6-चीनी का बूरा - 300 ग्राम
7-पंच-मेवा (सूखा नारियल, चिरौंजी, किशमिश, छुहारा एवं मखाना) -100 ग्राम
विधि
सर्वप्रथम पंच-मेवों को 'मणियाँ' लें (अर्थात मणि की तरह छोटे-छोटे टुकड़े कर लें) अब चीनी की तीन तार की चाशनी बना कर उसे ठंडा कर लें फिर उसे पीस लें ( चीनी का बूरा तैयार है )। तत्पश्चात् शुद्ध देशी घी को गर्म करके कुट्टू का आंटा धीरे-धीरे गुलाबी होने तक भून लें । फिर इसमें पिसी हुयी धनियाँ डाल कर पॉँच मिनट तक और भूनें। फिर इसमें छोटी इलायची और सोंठ का चूर्ण मिला लें। आँच से उतार कर के चीनी का बूरा भी मिला दें। ठंडा होनें पर पंजीरी को पंच- मेवों से सजा दें । श्री कृष्ण जन्माष्टमी का प्रसाद तैयार है। जय श्री कृष्ण !

4 comments:

Anita kumar said...

vaah! jai Shri Krishan

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Jai ho Shri Krishna Murar ki ..Banwari ki !

रंजू भाटिया said...

जय श्री कृष्ण ..बहुत बढ़िया विधि

Asha Joglekar said...

wah janmashtami ki panjiri muze hamesha se hi khoob achchi lagati hai. Jai shree krishna.