दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Sunday, August 16, 2009

दाल रोटी चावल ब्लॉग के लिये विधियाँ आमन्त्रित हैं ।

दाल रोटी चावल ब्लॉग के लिये विधियाँ आमन्त्रित हैं इस ब्लॉग पर रेसिपी भेजे अलग अलग प्रान्तों कि ताकि कुछ नयी पुरानी रेसिपी का एक अच्छा ब्लॉग बन सके सहयोग दे ताकि साँझा चूल्हा जलता रहे