दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Saturday, June 7, 2008

रसेदार छल्ली



दाल रोटी चावल के परिचय में अनीताजी ने रसेदार छल्ली का जिक्र किया है.अभी कुछ दिनों पहले बिटिया के साथ लाजपतनगर जाना हुआ.लौटते हुए शाम हो गई और हम दोनों को भूख लग आई.ऐसे में हमारी नासिका में कोर्न की खुशबू चली आई.जैसे ही हम उधर बढे,एक कोने में हमें एक बूढे बाबा दिखे जो रसेदार छल्ली बेच रहे थे. पंजाबी में भुट्टे को छल्ली कहा जाता है.छल्ली वाले बाबा के इर्द-गिर्द महिलाओं की अच्छी खासी भीड जमा थी.जब तक हमारा नम्बर आया, तब तक बाबा फ़्री हो चुके थे.जैसे ही रसेदार छल्ली में दांत गडाये, अनीता जी का विवरण आंखों के सामने घूम गया.सचमुच लार ग्रन्थियां और अश्रु ग्रंथियां ओवरटाइम काम करने लगी थी.अपनी हंसी को रोकते हुए हमने बाबा से छल्ली की तारीफ़ करते हुए उसे बनाने की विधि पूछी तो थोडी नानुकुर के साथ बाबा ने हमको रसेदार छल्ली बनाने का तरीका बता दिया.आजकल बाज़ार में अमेरिकन स्वीट कोर्न वाला नर्म, मीठा भुट्टा मिलता है, मेरी गुजारिश है कि हो सके तो यही भुट्टा काम में लायें.तो अनीताजी और बाकी सभी सखियां तैयार हो जाइये रसेदार छल्ली बनाने के लिये.

सामग्री:

साबुत भुट्टे (कच्चे,नर्म)--------- ४ नग
पीला मक्खन----------------- १ छोटा चम्मच
नमक---------------------- स्वादानुसार
लाल मिर्च पाउडर---------------जितनी से लार ग्रन्थियां और अश्रुग्रन्थियां भलीभांति स्रावित हो जायें.(सबकी अपनी अपनी लिमिट होता है ना)
चाट मसाला------------------ ४ छोटे चम्मच
नींबू का रस------------------१/४ छोटी कटोरी

विधि

प्रेशर कुकर में पीला मक्खन पिघला लें और उसमें भुट्टे डाल कर हिला लें.अब १/२ कटोरी पाने डाल कर कुकर का ढक्कन बंद कर के २-३ सीटी लगा लें.यदि चाहें तो इसी विधि से माइक्रोवेव में भुट्टे स्टीम कर लें.जब तक भुट्टे स्टीम होते हैं तब तक रसा तैयार कर लें.नीम्बू के रस में लाल मिर्च पाउडर,नमक और चाट मसाला डाल कर अच्छी तरह मिला लें, चाहें तो बहुत थोडा सा मक्खन भी डाल लें,स्वाद के लिये.(मक्खन का आइडिया मेरा ही है, बाबा का नहीं).बाज़ार में आमतौर पर नींबू की जगह टाटरी का प्रयोग किया जाता है,स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मुझे नीम्बू उचित लगता है. जैसे ही भुट्टे पक जायें, आप कुकर का ढक्कन खोल कर चेक कर लें.इन गर्मागर्म भुट्टों को तैयार रसे में अच्छी तरह लपेट लें.चम्मच में रसा ले कर धीरे धीरे भुट्टों पर गिरायें.जब सारा रसा इस प्रकार से खत्म हो जाये तो बिना किसी का लिहाज करे रसेदार छल्लियों पर टूट पडें.नर्म, मीठे किन्तु चरपरे भुट्टे खा कर मुझे जरूर बतायें अश्रुग्रन्थी और लारग्रन्थी का हाल.

Thursday, June 5, 2008

रेशमी परांठे ..

अपने नाम की तरह हैं यह .इसके लिए आपको चाहिए
आलू उबले हुए आधा किलो
मैदा आधा किलो
नमक स्वादानुसार
तेल या देसी घी

आलुओं को गर्म छील कर मेश कर ले हलके गर्म रह जाए तो इन्ही आलुओं में मैदा और नमक दाल कर गूँथ ले ,पानी नही डालना है बिल्कुल भी .गूँथ कर उसी वक्त पराँठे बनाने हैं नही तो ढीला पढ़ जायेगा यह .इस आटे से लोइयाँ बना कर बेल ले और चकले पर मैदा लगा कर ही बेलें फ़िर इसको नॉन स्टिक तवे पर पकाए ..तेल बहुत कम लगेगा इस में हाँ जिन्हें थोड़ा तला हुआ पसंद है और मोटापे का डर नहीं है वह इसको ज्यादा घी लगा कर भी बना सकते हैं यह परांठे सूखे पिंडी चनों के साथ बहुत स्वाद लगते हैं ..

Tuesday, June 3, 2008

" भे" का आचार

कमल ककड़ी {भे } एक किलों
कमल ककडी kओ को खूब अच्छी तरह धो कर मिटटी बील कुल निकाल दे । अब इसको छील ले और १.५ इंच के टुकडे काट ले । इसको एक बटन मे पानी मे डाल कर पूरा भिगो दे ताकि मिटटी ना रहे ।
मसाले
नमक , 4 छोटी चम्मच
हल्दी , 4 छोटी चम्मच
कुटी लाल मिर्च , 4 छोटी चम्मच
सौफ , 4 छोटी चम्मच
कलोंजी , 4 छोटी चम्मच
हींग , २ चुटकी
सरसों का तेल आधा लीटर
एक पतीले मे इतना पानी डाले दे की कमल ककड़ी के सब टुकडे उसमे भीग सके
अब इस पानी को खूब खौला ले .जब पानी मे उबाल आजाये तो गैस बंद करके इस मे कमल ककड़ी डाल दे । कमल ककड़ी को इस मे केवल १ -२ मिनट तक ही पानी मे रखना है ।
कमल ककड़ी को पानी से निकाल कर तुरंत किसी कपडे पर रखे और धूप मे कुछ मिनट रख दे । जैसे ही कमल ककड़ी का पानी सूख जाए इस मे सारे मसाले डाल दे । इस मिश्रण को किसी भी बर्तन मे डाल कर खूब हिलाए ताकि मसाला मिल जाए ।
इसके बाद जिस बरनी या बोतल मे आप को ये आचार रखना हो उसमे ये मिश्रण डाल दे और ऊपर से सरसों का तेल डाले । तेल इतना डाले की पूरा मिश्रण उसमे डूब जाए ।
अब इस आचार को दो दिन धूप मे रख दे और फिर ये खाने के लिये तैयार हैं ।