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दाल रोटी चावल के परिचय में अनीताजी ने रसेदार छल्ली का जिक्र किया है.अभी कुछ दिनों पहले बिटिया के साथ लाजपतनगर जाना हुआ.लौटते हुए शाम हो गई और हम दोनों को भूख लग आई.ऐसे में हमारी नासिका में कोर्न की खुशबू चली आई.जैसे ही हम उधर बढे,एक कोने में हमें एक बूढे बाबा दिखे जो रसेदार छल्ली बेच रहे थे. पंजाबी में भुट्टे को छल्ली कहा जाता है.छल्ली वाले बाबा के इर्द-गिर्द महिलाओं की अच्छी खासी भीड जमा थी.जब तक हमारा नम्बर आया, तब तक बाबा फ़्री हो चुके थे.जैसे ही रसेदार छल्ली में दांत गडाये, अनीता जी का विवरण आंखों के सामने घूम गया.सचमुच लार ग्रन्थियां और अश्रु ग्रंथियां ओवरटाइम काम करने लगी थी.अपनी हंसी को रोकते हुए हमने बाबा से छल्ली की तारीफ़ करते हुए उसे बनाने की विधि पूछी तो थोडी नानुकुर के साथ बाबा ने हमको रसेदार छल्ली बनाने का तरीका बता दिया.आजकल बाज़ार में अमेरिकन स्वीट कोर्न वाला नर्म, मीठा भुट्टा मिलता है, मेरी गुजारिश है कि हो सके तो यही भुट्टा काम में लायें.तो अनीताजी और बाकी सभी सखियां तैयार हो जाइये रसेदार छल्ली बनाने के लिये.
सामग्री:
साबुत भुट्टे (कच्चे,नर्म)--------- ४ नग
पीला मक्खन----------------- १ छोटा चम्मच
नमक---------------------- स्वादानुसार
लाल मिर्च पाउडर---------------जितनी से लार ग्रन्थियां और अश्रुग्रन्थियां भलीभांति स्रावित हो जायें.(सबकी अपनी अपनी लिमिट होता है ना)
चाट मसाला------------------ ४ छोटे चम्मच
नींबू का रस------------------१/४ छोटी कटोरी
विधि
प्रेशर कुकर में पीला मक्खन पिघला लें और उसमें भुट्टे डाल कर हिला लें.अब १/२ कटोरी पाने डाल कर कुकर का ढक्कन बंद कर के २-३ सीटी लगा लें.यदि चाहें तो इसी विधि से माइक्रोवेव में भुट्टे स्टीम कर लें.जब तक भुट्टे स्टीम होते हैं तब तक रसा तैयार कर लें.नीम्बू के रस में लाल मिर्च पाउडर,नमक और चाट मसाला डाल कर अच्छी तरह मिला लें, चाहें तो बहुत थोडा सा मक्खन भी डाल लें,स्वाद के लिये.(मक्खन का आइडिया मेरा ही है, बाबा का नहीं).बाज़ार में आमतौर पर नींबू की जगह टाटरी का प्रयोग किया जाता है,स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मुझे नीम्बू उचित लगता है. जैसे ही भुट्टे पक जायें, आप कुकर का ढक्कन खोल कर चेक कर लें.इन गर्मागर्म भुट्टों को तैयार रसे में अच्छी तरह लपेट लें.चम्मच में रसा ले कर धीरे धीरे भुट्टों पर गिरायें.जब सारा रसा इस प्रकार से खत्म हो जाये तो बिना किसी का लिहाज करे रसेदार छल्लियों पर टूट पडें.नर्म, मीठे किन्तु चरपरे भुट्टे खा कर मुझे जरूर बतायें अश्रुग्रन्थी और लारग्रन्थी का हाल.
8 comments:
हाँ खायी है कई बार मैंने भी लाजपत नगर में ही :) पर विधि नही पूछी कभी क्यूंकि उस को खाने के बाद पूछने की हालत में नही रहते :) पर आपने यह अच्छा किया पूछ कर .अब इसको अपने स्वाद यानी कम मिर्ची दाल कर बना कर खाएँगे
wah bahut hi rassedar aur aasan vidhi,delicious to:),ab ke barsaat mein yahi khayenge
अरे वाह ...अब तो अनिता जी की क्षुधा भी शाँत होगी :-))
बढिया रेसीपी लायीँ आप इला जी
स स्नेह्,
- लावण्या
इला जी आप का कोटी कोटी धन्यवाद, पढ़ कर ही मुंह में पानी आ गया। रसा क्या सिर्फ़ नींबू के रस की बनानी होगी या उसमें पानी भी मिलाना होगा। मुझे लगता है एक बर्तन में एक गिलास पानी नमक , मिर्च और चाट मसाला और थोड़ा सा गर्म मसाला के साथ उबाले और फ़िर उसमें नींबू का रस डाल कर उसमें उबली हुई छ्ल्ली ऐसे रखी जाए की उसकी मूठ पानी में न डूबे तो और स्वादिष्ट लगेगा, है न? लेकिन आइडिया एक दम सही दिया आप ने, बहुत दिनों बाद समझ आया कि कैसे बनाएं, धन्यवाद
maine try to nahin kee abhi.banaungee jaroor..
aapka style recipe batane kaa bahut achcha laga.
पानी आ गया मुंह में पढ कर ही, खाने के बाद कया होगा ?
रसेदार छल्ली के बारे में सोचकर बचपन की याद आ गयी...उसके बाद तो अब तक मक्खन और नमक के साथ ही खाई खिलाई है.... अब दुबारा बचपन में लौटते हैं और चटपटी छल्ली का स्वाद लेते हैं....
इला जी पढ़कर ही मुंह मे पानी आ गया ।
आज तो यहां धुआंधार बारिश हो रही कल बाजार से भुट्टा लाकर जरुर खाएँगे।
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