दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, June 3, 2008

" भे" का आचार

कमल ककड़ी {भे } एक किलों
कमल ककडी kओ को खूब अच्छी तरह धो कर मिटटी बील कुल निकाल दे । अब इसको छील ले और १.५ इंच के टुकडे काट ले । इसको एक बटन मे पानी मे डाल कर पूरा भिगो दे ताकि मिटटी ना रहे ।
मसाले
नमक , 4 छोटी चम्मच
हल्दी , 4 छोटी चम्मच
कुटी लाल मिर्च , 4 छोटी चम्मच
सौफ , 4 छोटी चम्मच
कलोंजी , 4 छोटी चम्मच
हींग , २ चुटकी
सरसों का तेल आधा लीटर
एक पतीले मे इतना पानी डाले दे की कमल ककड़ी के सब टुकडे उसमे भीग सके
अब इस पानी को खूब खौला ले .जब पानी मे उबाल आजाये तो गैस बंद करके इस मे कमल ककड़ी डाल दे । कमल ककड़ी को इस मे केवल १ -२ मिनट तक ही पानी मे रखना है ।
कमल ककड़ी को पानी से निकाल कर तुरंत किसी कपडे पर रखे और धूप मे कुछ मिनट रख दे । जैसे ही कमल ककड़ी का पानी सूख जाए इस मे सारे मसाले डाल दे । इस मिश्रण को किसी भी बर्तन मे डाल कर खूब हिलाए ताकि मसाला मिल जाए ।
इसके बाद जिस बरनी या बोतल मे आप को ये आचार रखना हो उसमे ये मिश्रण डाल दे और ऊपर से सरसों का तेल डाले । तेल इतना डाले की पूरा मिश्रण उसमे डूब जाए ।
अब इस आचार को दो दिन धूप मे रख दे और फिर ये खाने के लिये तैयार हैं ।

2 comments:

रंजू भाटिया said...

यह आचार मेरी नानी बहुत बनाती थी .बना के देखूंगी ..रेस्पी उनसे कभी नही ली आज आपने दे दी शुक्रिया :)

mamta said...

अरे ये अचार तो बड़ा ही आसान है बनाना।