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दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।
हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ
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Thursday, April 23, 2009
इतने सारे रसोई के कर्णधार और महीनो से कोई नयी रैसिपिं नहीं हैं ? कब दे रहे हैं ??
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6 comments:
निराश न हों.
http://paricharcha.wordpress.com/2009/04/23/kewa-datshi/
बस कनाडा पहुँच कर खाना बनाना फिर से चालू और रेसिपी हाजिर. :)
रचना जी माफी चाहता हूँ। आजकल मैं दो ही काम कर रहा हूँ - एक परीक्षा की तैयारी, दूसरे चिट्ठाकारी। खाना केवल उतना ही बना रहा हूँ जिससे पेट भर जाये। मई में कुलचे बनाऊंगा तब लिखूंगा!
मेरे दो ही शौक हैं,
खाना बनाना और खाना।
परन्तु आजकल ब्लागिंग से
फुरसत नही मिल रही है।
जैसे ही कुछ समय मिलेगा,
अच्छा पकाउँगा, खाऊँगा और
रेसिपी को श्रीमती जी के ब्लाग
पर प्रकाशित भी करूँगा।
आशा और सम्भावना का
दामन छोड़ना ठीक नही है।
लगता है मेरा पिछला कमेण्ट अपना काम कर गया।
-----------
मॉं की गरिमा का सवाल है
प्रकाश का रहस्य खोजने वाला वैज्ञानिक
Abhi pichale kuch din wahan se yahan aane men wyast rahee na kuch likha na banaya.par jaldi hi banaungi aur fir likhoongi bhee.
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