दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Thursday, June 5, 2008

रेशमी परांठे ..

अपने नाम की तरह हैं यह .इसके लिए आपको चाहिए
आलू उबले हुए आधा किलो
मैदा आधा किलो
नमक स्वादानुसार
तेल या देसी घी

आलुओं को गर्म छील कर मेश कर ले हलके गर्म रह जाए तो इन्ही आलुओं में मैदा और नमक दाल कर गूँथ ले ,पानी नही डालना है बिल्कुल भी .गूँथ कर उसी वक्त पराँठे बनाने हैं नही तो ढीला पढ़ जायेगा यह .इस आटे से लोइयाँ बना कर बेल ले और चकले पर मैदा लगा कर ही बेलें फ़िर इसको नॉन स्टिक तवे पर पकाए ..तेल बहुत कम लगेगा इस में हाँ जिन्हें थोड़ा तला हुआ पसंद है और मोटापे का डर नहीं है वह इसको ज्यादा घी लगा कर भी बना सकते हैं यह परांठे सूखे पिंडी चनों के साथ बहुत स्वाद लगते हैं ..

10 comments:

Alpana Verma said...

wah ! nayee tarah ke paranthey--aaj hi try karungi--size chhote kar ke--shaam ki chaay ke saath sab ko deti hun-thnx ranju ji

Anonymous said...

मैने ये विधि पहले कभी नहीं सुनी , अब जरुर बनाउगी

L.Goswami said...

pahli bar aise parathe ke bare me suna hai

mamta said...

जरुर बनायेंगे क्यूंकि आसान भी है और टेस्टी भी।
और इस पराठे का नाम आहा ।

mehek said...

wow they r ek dam mast mast,pehli baar suna,mouth watering:);)

Ila's world, in and out said...

ये तो सचमुच रेशमी ही बनेंगे.ऐसे ही परांठे मेरी मां बची हुई दाल से आटा गून्ध के बनाती हैं और उन नरम गरम परांठों को आम के अचार के साथ खाने में बहुत मज़ा आता है.

Anita kumar said...

vaah vaise kya maide ki jagah atta use ker sakte hain

अजित वडनेरकर said...

वाह वाह...
ये प्रयोग एक बार हमने भी किया था । फर्क सिर्फ इतना था कि मैदे की जगह सामान्य आटा था और पानी की जगह कुछ दूध, कुछ मलाई यूज़ कर ली थी। चीज़ बड़ी जानदार बनी थी। कुल जमा दो। खुद ही दबा गए थे।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

वाह बढिया है ..
- लावण्या

Anonymous said...

यह काफ़ी इन्तेरेस्तिंग रेसिपे हैं