दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, December 9, 2008

लिखिये अपनी पंसदीदा विधि

freelancetextiledesigner.daalrotichaawal@blogger.com

ऊपर दिये गए ईमेल आईडी पर अपनी पसंद की रेसेपी पोस्ट करे . पोस्ट आप को अगले दिन दाल रोटी चावल ब्लॉग पर दिखने लगेगी । सदस्यों ने काफ़ी विधियां डाली हैं पर बहुत से भारतीये व्यंजन और भी होगे जिनको हम नेट पर एक दुसरे से बाँट सकते हैं । भारतीये व्यंजनों के अलावा भी विधियों को जानने की उत्सुकता हैं और वो विधियां जो कम समय मे बनती हो ।
लिखिये अपनी पंसदीदा विधि और ईमेल करिये
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1 comment:

Udan Tashtari said...

जी, जैसा आपका आदेश. आज तक तो टाला नहीं, अब कैसे हिम्मत कर सकते हैं ऐसी. :)