दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, January 27, 2009

गाजर ए गुलजार

सर्दी का मौसम है क्यूं न कुछ मीठा हो जाये ।
सामग्री - गाजर आधा किलो
दूध –आधा लिटर या खोया 150 ग्राम
चीनी- 100 ग्राम
छोटी इलायची 5-6 नग कुटी हुई
काजू किशमिश 7-8 प्रत्येक
गाजर को धो कर छील कर 2 इंच के सिलिंडर के रूप मे काट लें ।
अब प्रत्येक सिलिंडर को बीच से गूदा हटा कर खोखला कर लें
इन सिलिंडरों को उबाल कर पकालें । दूध का खोया बना लें । अब खोये में हलकी सी चीनी मिलाकर
इन सिलिंडरों के बीचमें भरें । चीनी की दो तार की चाशनी बनालें इसी में इलायची डाल दें और भरे
हुए गाजर चाशनी में डालें । गैस पर से हटा लें अब एक प्लेट में गाजरों को गोलाकार रख कर काजू किशमिश से सजादें ।
पेश करें और खुद भी मजा लें । (काश फोटो खींची होती )

7 comments:

निर्मला कपिला said...

bhai ab to ise banana hi padega kyon ki mai meethe ki bahut shaukin hoon nit nai meethi cheej khane ka man rehta hai dhanyavad

Vinay said...

बनाये बिना तो रहा नहीं जायेगा, बनाते हैं फिर बताते हैं कैसा रहा, प्रयास!

---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें

Anonymous said...

aasha mam
thanks for such a nice recipe

गरिमा said...

गाजर का मुरब्बा तो बनता था अब गाजर का गुलजार.. कल ही... नहीं नहीं आज ही बनाती हूँ, शुक्रिया :)

Anonymous said...

इस तिप्पणि के बाद कल सुबह बनाने की तैय्यारि करनी है. अभी खोए के लिए बोलना है. आभार.

कडुवासच said...

...bahut meethi mithaae hai.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

खाना और खजाना के, रंग-ढंग बहुत देखे हैं,
खाने वालों के चेहरे, बदरंग बहुत देखे हैं।
किन्तु आपके व्यंजन में, सभ्यता झलकती है,
भारतीय भोजन की, गन्ध-सुगन्ध महकती है।