दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, March 10, 2009

बनाए , खाये और बताये कैसी लगी , होली की बधाई .






होली पर ये मिठाई आप को जरुर अच्छी लगेगी । बनाए , खाये और बताये कैसी लगी , होली की बधाई .

7 comments:

Udan Tashtari said...

अभी तो देखकर पेट भर लेते हैं.

होली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!

Prakash Badal said...

आपको भी होली की शुभकामनाएं। अगर ये मिठाई खाने को भी मिल जाती तो कितना मज़ा आ जाता।

Anonymous said...

दाल रोटी चावल कह कर बुलाया और मिठाई पड़ोस दिया..पता नहीं शुक्रिया कैसे अदा करुँ. होली की बहुत बहुत बधाईयाँ.

रवीन्द्र प्रभात said...

मिठाई मिल जाती मज़ा आ जाता, देखकर पेट भर लेते हैं.....होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सभी बहुत बढिया है रचना जी -
होली पर्व का अब मज़ा आया
आपको बहुत बधाई
- लावण्या

Asha Joglekar said...

वाह वाह जी ललचा गया । होली मुबारक ।

admin said...

बहुत ही स्‍वादिष्‍ट।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन