दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।
7 comments:
अभी तो देखकर पेट भर लेते हैं.
होली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!
आपको भी होली की शुभकामनाएं। अगर ये मिठाई खाने को भी मिल जाती तो कितना मज़ा आ जाता।
दाल रोटी चावल कह कर बुलाया और मिठाई पड़ोस दिया..पता नहीं शुक्रिया कैसे अदा करुँ. होली की बहुत बहुत बधाईयाँ.
मिठाई मिल जाती मज़ा आ जाता, देखकर पेट भर लेते हैं.....होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
सभी बहुत बढिया है रचना जी -
होली पर्व का अब मज़ा आया
आपको बहुत बधाई
- लावण्या
वाह वाह जी ललचा गया । होली मुबारक ।
बहुत ही स्वादिष्ट।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
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