दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, May 13, 2008

गुजराती छुँदा और मसालेवाला पराँठा

आम के मीठे अचार को " गुजराती छुँदा " कहते हैं -



Mango Chhunda (५ केजी ) जितना बनाने के लिए आपको राजापुरी कच्चे आम लेने होंगें । आजकल भारत के बंबई जैसे शहरों में ये सडकों पे , ढेर सारे बिक रहे हैं।
ये काफी बड़े होते हैं सो, ६ आम लीजिये।



उन्हें छिलका निकाल कर ग्रेट कर लेँ --



अब लगभग १० कप जितना नमक , इस , (ग्रेट किया कच्चा आम आपके पास तैयार है ) उसमें मिलाएँ और १५ कप शक्कर मिलाएँ --



आधा कप जीरा , खुरदरा पीसा हुआ , हल्का भुना हुआ भी इस में मिला लें और १ कप लाल मिर्च पीसी हुई भी मिलाएँ ।
रीत :
१ : ग्रेट किया कच्चा आम नमक के साथ , खूब अच्छी तरह मल लीजिये जब् तक आम पानी ना छोड़ दे , तब तक मलते रहिये --
२ : अब शक्कर मिला कर उसे भी पिघल जाए उतनी देर मिलाएँ
ढँक कर , १२ से २४ घंटों तक , रहने दीजिये --
३: एक महीन मलमल का कपडा , इस बर्तन पे बाँध दीजिये फ़िर उसे कड़ी धूप में , पकने के लिए रख दीजिये , नीचे एक बड़ी परात में पानी भी रखिये ताकि, चींटी ना लग जाएं --



४: रोज , शाम होते , अचार का बर्तन भीतर ले आयें और रोज सुबह धूप में रखें -- ये क्रम जारी रखिये , जब तक , शक्कर घुल कर , गाढी ना हो जाये --



इस प्रक्रिया को , पूरा होते , ८ से १० दिन का समय , लगेगा ५: भूना हुआ जीरा व लाल मिर्च को इस आम के मिश्र में मिलाकर १ दिन तक और , धूप में रखें।
६: अब आपका मीठा आम का अचार या " छुँदा " तैयार है !



इसे साफ कांच की बरनी में भर लीजिये -



ये १ साल तक टिकता है -



" थेपला "



अब गुजराती मसालेवाला परांठा , जिस को



" गुजराती थेपला " कहते हैं उसकी विधि नोट कीजिये -



गेहूँ के आटे मेँ १ चम्मच तेल डाल कर , उसे मल लेँ ,उसी मेँ , हरी मेथी की पत्तियाँ, साफ कर के बारीक काट कर मिला लेँ, पीसी हुई हरी मिर्च, थोडी अदरख ,चुटकी भर हीँग, जीरा हथेलियोँ पे मल के, थोडी सी अजवाइन भी इसी तरह मल कर मिला लेँ। हल्दी,लाल मिर्च , धनिया पाउडर भी मिला लेँ, और १/२ चम्मच शक्कर भी मिलायेँ अब ये सारा मसाला लिये आटा, दही से गूँथना है - आटा नरम ही रखियेगा तभी हल्की आँच पर सेँकने पर "थेपले " स्वाद बनते हैँ। पराँठे की तरह एक एक करके इन्हेँ roast कर लीजिये -



ये २ दिन तक अच्छे रहते हैँ और यात्रा पर भी आप इन्हेँ साथ ले जा सकते हैँ .. ( मैँ अक्सर ले जाती हूँ ! ) और इस मेथी से बने गुजराती थेपले को आपने जो इतनी मेहनत से गुजराती खट्टा मीठा " गुजराती छुँदा " बनाया है उसके साथ और दही या आम रस के साथ खाइये ...

5 comments:

Anita kumar said...

लावण्या जी आज तो मेरे घर पार्टी होने वाली है। आप ने थेपले की रेसिपी भी दी है , मेरे लड़के और पति का मनपसंद व्यंजन । आज तो डाइनिंग टेबल पर आप की चर्चा होनी है और अगर आप ऐसे ही अच्छे खाने दिखा कर हमें ललचाती रही तो हम तीनों अमेरिका की टिकट कटवा रहे हैं। फ़िर मत कहिएगा कि क्या मुसीबत गले में डाल ली। आप खुद न्यौता दे रही हैं इन मुसीबतों को…:)

रंजू भाटिया said...

है तो बहुत अच्छी लावण्या जी.पर बहुत मेहनत का काम बता दिया आपने :) ..क्या आप इसको बना के भेज सकती है :) नही मैं कभी इसको बनाने की कोशिश जरुर करुँगी :)

डा. अमर कुमार said...

मुझे छुँदा ठीक से समझ में नहीं आया, एक बार
दुबारा स्पष्ट करें । मुँह में पानी नहीं रुक रहा है, प्लीज़ !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अनिता जी ,रँजू जी, :-)
आपको पसँद आयी रेसीपी
इसकी खुशी है -
सच !
गुजराती बानगीयाँ ,
मेहनत बहुत माँग लेतीँ हैँ -
पर एक बार बना लेँ ,
तब ,टेस्टी भी लगतीँ हैँ -
अमर भाई साहब्,
" छुँदा " = (means)
मीठा अचार होता है -
आपको रेसीपी , follow , करने मेँ कठिनाई हो रही है क्या ?
--- लावण्या

गरिमा said...

मेहनत का काम है, ऐसे च्य‍जन सिर्फ़ खाने चाहिये, बनाने का काम आपका, तो एक पार्टी दे दिजिये..मै आती हूँ खाने के लिये :D