दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, June 16, 2009

ग्वार पाठे की खट्टी-मीठी सब्जी






ऎसा नही की राजस्थान से खाली हाथ आये हैं आपके लिये लाये हैं ग्वारपाठे की खट्टी-मीठी सब्जी।
तो लीजिये बनाने के लिये तैयार हो जाईये...
ग्वार पाठा एक हर्ब ही नही एक स्वादिष्ट सब्जी भी बन सकता है जिसे आप खुशी-खुशी किसी भी समय पर बना सकते हैं...:)

सामग्री--चार लोगों के लिये
ग्वारपाठे की मोटे दल वाली फ़ांकें(जिसे पत्तियाँ या तना भी कह सकते है जिसके दोनो तरफ़ काँटे होते हैं)---2
देशी घी- 2 छोटे चम्मच
अजवाईन--- 1 छोटा चम्मच
हींग-- 1/6 छोटी चम्मच
गुड़ अथवा चीनी---25 ग्राम( 1/2 कफ पानी में भिगो दें)
मिर्च----1 छोटा चम्मच
हल्दी---1/2 छोटा चम्मच
धनियां---2 छोटे चम्मच
अमचूर---2 छोटे चम्मच
नमक---दो छोटे चम्मच







बनाने की विधि---
सबसे पकले ग्वारपाठे की दोनो फ़ाँके अच्छी तरह से छील लीजिये,
उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर दीजिये
उन टुकड़ों को एक पतीले में पानी भर कर डाल दीजिये
उनमें डेढ़ चम्मच नमक व चुटकी भर हल्दी भी मिला दीजिये
उन टुकड़ों को पंद्रह मिनिट तक ऎसे ही पड़ा रहने दीजिये
उनके रंग में थोड़ा बदलाव होगा व लार की मात्रा भी कम हो जायेगी
अब ग्वारपाठे के टुकडो़ को पानी से अच्छी तरह धोकर कुछ देर छलनी में रहने दीजिये
एक कड़ाही में दो चम्मच देशी घी डालिये
घी के गर्म होने पर उसमे अजवाईन,हींग डालिये
जैसे ही बघार आने को तैयार हो जाये धुले हुए ग्वारपाठे के टुकड़े कड़ाही में छोड़ दीजिये
बचा हुआ आधा चम्मच नमक,हल्दी,धनिया,गरम मसाला डाल कर मिलाईए
पाँच मिनिट बाद पक जाने पर गुड़ अथवा चीनी जो पानी में घुल गया होगा सब्जी में छोड़ दीजिये
अमचूर डाल कर अच्छी तरह से पकाईये
रंग और स्वाद ही नही यह सब्जी लाजवाब बनेगी...जैसे चाहे खाईये
रोटी या पराँठे के साथ या ऎसे ही आप भी अँगुलियां चाटते रह जायेंगे।
सुनीता शानू

8 comments:

Anonymous said...

kitnae din baad ek nayee receipe aayee
sunita kehaan thee ????
khae yae kal hio bantae haen

Udan Tashtari said...

कभी सुना ही नहीं था इस डिश के बारे में. कोई बनाओ तो हमें भी खिला देना. यहाँ तो यह मिलने से रहा.

Kavita Vachaknavee said...

एकदम नई ही डिश सुनीता जी ने बता दी,मैंने घृतकुमारी (ग्वारपाठा)की सब्जी की कभी कल्पना भी नहीं की थी.

Asha Joglekar said...

एकदम् नई सब्जी कभी देखी नही, कहीं ये एलोवेरा, जिसे मराठी में कोरफड बोलते हैं, तो नही ।

कंचन सिंह चौहान said...

sahi kaha..Gwar pathe ki sabji bhi ban sakti hai..soch bhi nahi sakte

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

लीवर के रोगियों के लिए तो यह वरदान सिद्ध होगी।

रंजू भाटिया said...

बना के देखते हैं ..अच्छी विधि है .. शुक्रिया

janki jethwani said...

स्वाद के अलावा इस के गुण क्या हैं,बताने का कष्ट करेंगी आप