दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।
2 comments:
वाह जी, अभी जाते हैं वहाँ. आभार लिन्क का.
यह घर भी बना सकते हैं यह अभी पढ़ कर जाना :) नही तो अब तक इसको रेस्टोरेंट में ही जा कर खाया है :)
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