दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Tuesday, May 6, 2008

पाव वडा

अनिता जी ने बम्बई की पाव भाजी रेसीपी बतलायी जिसे यहाँ अमरीका मेँ भी मैँ अक्सर बनाया करती हूँ और भारत के दूसरे प्राँतोँ से यहां बसे लोगोँ को भी ये उतनी ही पसँद आती है जितनी अमरीकी मित्रोँ को !
उसके साथ, मेँगो लस्सी, या अन्य शरबत सभी मज़ा दुगुना कर देते हैँ --
और अब बम्बई का मशहूर, "पाव - वडा " जो हर नुक्कड पे मिल जाता है ॥
"पाव" माने बेकरी मेँ बनी ब्रेड !
इसे पाउ या पाव क्यूँ कहते हैँ ?
सुना तो यही है कि, बेकरी मेँ अक्सर इसका आटा, पैरोँ से मसला जाता था, जिसे मराठी मेँ पाव या पाय या पाउ कहते हैँ - तो उसीसे ऐसे बेकरी के ब्रेड का नामकरण " पाव " हो गया जो बम्बैया भाषा की देन है -
- और पाव भाजी और वडा पाव के नाम से अब सारी दुनिया में ये शब्द फैल चुका है ॥

तो चलिये...पाव वडा बनाया जाये ॥
छोटे ब्रेड ले लीजिये, और आलु बडा, आलु बोँदा या बम्बई मेँ जिसे बटाटा वडा कहतेँ हैँ उसे बनायेँ।
विधि :आलु उबाल कर उसे मेश करेँ ॥ उसी में ५, ६ कली लहसुन, हरा धनिया, २ नीँबु का रस,हरी मिर्च व थोडी सी अदरक पीसी हुई नमक स्वादानुसार मिलालेँ -अगर इसे और ज्यादा रीच बनाना चाहेँ तब काजु के छोटे टुकडे और थोडी सी कीशमीश बारीक़ कटी हुई भी मिलायेँ ॥
गोल आकार मेँ, बना कर बेसन के घोल मेँ डुबोकर, तल लेँ और पेपर पर तेल निकल जाये इसलिये रखेँ ॥
अब 2 चटनियाँ बनायेँ --
१) हरे धनिये की चटनी -- हरी मिर्च, जीरा नमक,और गुजराती सेव या बडी सेव जिसे गाँठीया कहते हैँ, उसके ३, ४ पीस मिलाने से चटनी गाढी हो जाती है और चने के आटे की वजह से, स्वाद भी बढता है और नीम्बू का रस मिला कर पीस लेँ -
२) लाल चटनी -- लहसुन, सुखा नरीयल, तिल,लाल मिर्च, नमक,जीरा मिलाकर पीस लेँ - अब ब्रेड काट कर एक तरफ हरी और दूसरी तरफ लाल चटनी लगा लेँ और बीच मेँ, आलु बडा रख लेँ ॥
अगर आप इसे और चरपरा बनाना चाहतेँ होँ तो, इमली की चटनी भी लगा सकते हैँ -और बस ! ब्रेड के बीच मेँ रखे इस आलु बडे और चटनीयोँ से लज़ीज , " पाव -वडा " रेडी है !! देर किस बात की है लावण्या

8 comments:

Arun Arora said...

ये हमारा देसी बरगर है जी, आप इसमे और इसके पकोडे मे जो मर्जी जोड सकते है :)

रंजू भाटिया said...

अच्छी जानकारी ..और विधि भी मजेदार ..वैसे कई बार इसको बना चुके हैं ..पर पढ़ के लगता है कि जल्द ही फ़िर इसकी बारी आएगी :)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बिलकुल सही कहा आपने अरुण भी और रन्जू जी -- आसान और हमेशा लज़ीज़ लगे ऐसी चीज है ना !:-)

राज भाटिय़ा said...
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Anonymous said...

पुर्तगाली नाविकों नें पहली बार गोवा/मुम्बई का परिचय ब्रेड से कराया. पुर्तगाली भाषा में ब्रेड को 'पाव' कहा जाता है. गूगल सर्च में pao bread सर्च करके देखिये.

सुनीता शानू said...

अक्सर बनाती हूँ बच्चों को बहुत पसंद है...

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकरी दी.

अजित वडनेरकर said...

शुक्रिया लावण्या जी। वैसे इसमें कुछ भी जोड़ सकते है जैसा की अरुण कह रहे हैं। पाव की उत्पत्ति मज़ेदार है । मगर ज्यादा प्रामाणिक तो पुर्तगाल के संदर्भ वाली ही है। हिन्दी मे पुर्तगाली मूल के भी कई शब्द समाए हुए हैं। वड़ा की उत्पत्ति के लिए मेरी यह पोस्ट ज़रूर देखें-http://shabdavali.blogspot.com/2007/09/blog-post_04.html
(यहां लिंक देने का तरीका ही नहीं पता हमें )