दाल रोटी चावल सदियों से नारी ने इसे पका पका कर राज्य किया हैं , दिलो पर , घरो पर। आज नारी बहुत आगे जा रही हैं सब विधाओं मे पर इसका मतलब ये नहीं हैं कि वो अपना राज पाट त्याग कर कुछ हासिल करना चाहती हैं। रसोई की मिलकियत पर से हम अपना हक़ तो नहीं छोडेगे पर इस राज पाट का कुछ हिस्सा पुरुषो ने होटल और कुछ घरो मे भी ले लिया हैं।

हम जहाँ जहाँ ये वहाँ वहाँ

Wednesday, July 2, 2008

आम की कड़ी

आम की कड़ी
अपने ससुराल में सबसे पहले जो डिश मुझे सबसे अच्छी लगी वो थी मैंगो कड़ी। ये जितनी स्वादिष्ट लगती है उतनी ही बनानी भी आसान है,
इसके लिए आप को चाहिए:
१ बड़ा पका हुआ आम(पिलपिला न हो)
१/२ नारियल (कद्दुकस किया हुआ)
१ कप दही
१ कप पानी
1/2 छोटी चम्मची हल्दी
६-७ हरी मिर्च
नमक ( स्वादानुसार)
बघार के लिए राई, जीरा, कड़ी पत्ता, एक साबुत लाल मिर्च
आम को छील कर उसका गूदा टुकड़े टुकड़े कर निकाल लें, छिलका और गुठली फ़ैंक दें। अब एक पतीले में आम के टुकड़े डाल कर १/२ कप पानी डालें उसमें थोड़ी सी हल्दी और हल्का सा नमक डालें जो उतने आम के लिए पर्याप्त हों। इसे ढक कर हल्की आंच पर पकने के लिए रख दें। पांच सात मिनिट से ज्यादा नहीं लगना चाहिए इसे पकने में। आम नरम होने तक पकायें।

अब कसे हुए नारियल को मिक्सर ग्राइंडर में डालें, साथ में डालें हरी मिर्च, अदरक, जीरा, नमक (जितना नारियल के लिए चाहिए हो), अब इसमें थोड़ा थोड़ा कर दही डालते हुए पीसें। एकदम महीन चटनी के जैसे। पूरा दही इसमें मिल जाना चाहिए। अब इस चटनी को आम में मिलाये और दो मिनित और पकायें, यहां पर आप कड़ी पत्ता डाल लिजीए। जब लगे आम और नारियल एक दूसरे से मिल गये हैं तो गैस बंद कर दिजीए।
दूसरे बरतन में बघार बनाएं - 1।2 चम्मच तेल गरम कर उसमें राई और साबुत मिर्च तड़क लें और कड़ी पर डाल दें।

आप चाहें तो आम की जगह पाइनेपल ,सफ़ेद कद्दू भी इस्तेमाल कर सकते हैं पर लौकी नहीं।

6 comments:

Anonymous said...

nai tarha ki kadi sikhane ke liye aabhar.

Anonymous said...

aare wah ye to ekdam nai kadi sikha di aapne shukran

Anonymous said...

कढी की पता नही कितनी वेरिटी हैं इंडिया मे . हिमाचली कढी भी बहुत स्वादिष्ट होती हैं , खाई हैं रेसिपी नहीं आती कोई जानता हो तो लिखे

Udan Tashtari said...

नई नई यम यम!!

मीनाक्षी said...

पढ़कर ही मुँह में पानी आ रहा है तो बना कर चखने में क्या स्वाद होगा.... !

रंजू भाटिया said...

यह तो पहली बार पढ़ी जी .. .खाने के देखनी पड़ेगी