फरा --फरा अब ये मत कहियेगा की हम भी क्या अजीब नाम की खाने की चीज बता रहे है. फरा उत्तर भारत मे तीज -त्योहारों पर बनाया जाता है। हर जगह इसे बनाने का अलग तरीका है। वैसे फरे के साथ बहुत ही मजेदार बात जुड़ी है। हमारे पापा और भैय्या फरा नाम से ही दूर भागते है ।हमारे पापा तो फरा खाते ही नही है क्यूंकि हमारे बाबा के घर मे दादी (पापा की चाची ) गेहूं के आटे से फरा बनाती थी और उसे पानी मे उबाल देती थी जिसे ना तो हमारे बाबा खाते थे और ना ही हमारे पापा क्यूंकि पानी मे उबला हुआ फरा खाने मे थोड़ा चिपचिपा सा होता है।और बस भैय्या ने कभी खाया ही नही। जबकि हमारे नानी के घर मे चावल के आटे का फरा बनता था और वो भी स्टीम या भाप मे पकाते थे ।हमारे मायके मे फरा करवा चौथ के दिन जरुर बनता है और ससुराल मे कलम -दावत की पूजा वाले दिन (भाई दूज के दिन) खैर हम तो दोनों तरह का बनाते है क्यूंकि हमारे ससुराल मे गेहूं के आटे का और उबाल कर फरा बनता है तो हमारे मायके मे फरा स्टीम (भाप) मे पकाते है।
(ये फोटो मे जो फरा है वो चावल के आटे का बना है )
इन दोनों तरह के फरे मे भरने की सामग्री वही रहेगी बस बनाने की विधि अलग है।
सामग्री--
चने की दाल -- १ कटोरी
चावल का आटा --१ कटोरी
हरी मिर्च-- बारीक कटी हुई
हरा धनिया-बारीक कटा हुआ
अदरक--बारीक कटी हुई
हींग--चुटकी भर (चम्मच मे ४-६ बूँद पानी मे घोल ले )
नमक --स्वादानुसार
लाल मिर्च--चौथाई चम्मच
चटनी-- अमचूर.हरा धनिया,हरा मिर्चा और नमक । इन सबको मिक्सी मे पीस कर चटनी बना लीजिये।
बनाने की विधि--
सबसे पहले दाल को आधे से एक घंटे के लिए भिगा दे। और उसके बाद इस भीगी हुई दाल को दरदरा सा (थोड़ा मोटा )पीस ले। और इसमे कटा हुआ हरा धनिया,हरी मिर्च,हींग ,कटा हुआ अदरक ,नमक लाल मिर्च मिला ले।
चावल के आटे को गुनगुने पानी से गूंध ले। इसे गूंधते समय पानी को थोड़ा-थोड़ा डालते है वरना आटा बहुत जल्दी गीला जाता है।
अब इस आटे की लोई बना कर थोडी मोटी रोटी की तरह बेल ले। अब चाकू से इसके चौकोर से टुकड़े काटे। और इन चौकोर टुकडों मे पिसी हुई चने की डाल को भरकर हलके हाथ से बस दोनों किनारे जोड़ दे।
गैस पर एक भगोने मे पानी रक्खे और उसके ऊपर एक छलनी रक्खे और जब पानी उबलने लगे तो उस छलनी मे फरे रख दीजिये और एक प्लेट से इस छलनी को ढक दीजिये। बस ५-१० मिनट तक भाप मे पकाए और गरमा गरम फरे खाने को तैयार। बस प्लेट मे अमचूर की चटनी के साथ सर्व करे।
गेहूं के आटे का फरा बनाने की विधि --
गेहूं के आटे का फरा बनाने के लिए चावल के आटे की जगह गेंहू का आटा गूंध लीजिये । और छोटी-छोटी लोई बनाकर छोटी-छोटी रोटी बेल लीजिये और इसमे चने की दाल भरकर रोटी को गुझिया की तरह बिल्कुल सील कर दे। अब एक बर्तन मे पानी उबाल ले और उसमे ये फरे डाल कर १०-१५ मिनट तक पकाए। और गर्मागर्म फरे चटनी के साथ सर्व करे।
नोट --मिर्च का इस्तेमाल आप कम या ज्यादा अपनी पसंद से कर सकते है।
10 comments:
एकदम नया व्यंजन है बनाना पडेगा ।
wah its also new to me,never even heard of it.chawal wala jyada pasand aaya,jarur banakar dekhenge,pakane mein bhi easy.
अगर चावल के साथ थोडी उडद की दाल भी डाल ले तो स्वाद और बढ जायेगा :)
वैसे किसी रोज दाल का दुलहा भी ट्राई कीजीयेगा, :)
कायस्थो के यहाँ ये व्यंजन बहुत बनता हैं । अगर इसे बिना तले खाए तो शायद आज कल के मोमो को खाना आप भूल जायेगे और अगर आप इस को तल ले तो बारिश के मौसम मे गरम गरम चाय के साथ , मजा आजाता है
यहाँ पता नहीं किन-किन व्यंजनों की बात हो रही है। ममता जी का फरा तो नया है ही और यह अरूण जी का दाल का दूलहा क्या है। रचना जी ने तलने न तलने की एक और बात जोड़ दी।
हमें तो पूरा चिट्ठा टिप्पणियों के साथ नया लग रहा है।
अन्नपूर्णा
आप सभी की टिपण्णी का शुक्रिया।
अन्नपूर्णा जी आप परेशान मत होइए।
रचना ने फरा तलने या ना तलने की बात इस लिए कही है क्यूंकि बहुत लोग गेहूं के आटे का फरा तल कर खाते है क्यूंकि वो उबलने की वजह से चिपचिपा हो जाता है।
पर चावल के आटे के फरे मे fry करने की कोई जरुरत नही है वो ऐसे ही स्वादिष्ट लगता है।
अरुण जी उरद की दाल मिलाने से शायद आटा गूंधने मे दिक्कत हो सकती है। वैसे हमने कभी उरद दाल मिलाई नही है।
पहली बार पढ़ा और हाथ मचल उठे हैं बनाने को :) बना के देखना पड़ेगा इसको भी :) शुक्रिया इसको यहाँ शेयर करने के लिए ममता जी
ममता जी ,
ये तो हमने कभी खाया नहीँ -
चावल का भाप से बना हुआ तो गरम हो तो स्वादिष्ट ही लगता होगा !
-- लावण्या
मैंने तो अब तक नहीं बनाया लेकिन मेरी दोनों बहनें बनाती हैं, साथ ही उनके घर में इसे काफी पसंद किया जाता है।इसीलिये अब मैं भी बना कर देखूंगी
मैंने तो अब तक नहीं बनाया लेकिन मेरी दोनों बहनें बनाती हैं, साथ ही उनके घर में इसे काफी पसंद किया जाता है।इसीलिये अब मैं भी बना कर देखूंगी
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